क्या करोगे मेरा धर्म, मेरी जात जानकर,
मैं तो बस जी रहा हुं, खुद को इंसान मानकर,
मेरा रंग काला ठीक हैं, तुम्हारा सफेद हैं ठीक हैं,
पर जो तुम कर रहे हो, क्या कहते है ऊसे भेद,
मुझे नहीं लगता ये ठीक है.
जणाब अपणी हवेली की उंचाई से देख,
हम आपको कहा दिखने वाले है.
नीचे आईये तो सही, सही गलत तुम्हे पता तो चले.
कभी जमीन पे आइये, हमारे आँसु देखिये,
फिर मुस्कुराईये.
माना हमें पढणा नहीं आता,
इसका मतलब ये तो नहीं की हमें आगे बढणा नहीं आता,
हाथ मिलाईये तो सही, रास्ता दिखाईये तो सही,
साथ चलकर देखीये, थोडा धूप मैं जलकर देखीये,
ये खाना जो तुम डायनिंग टेबल पर सजा के बैठे हो,
हमें भूक से मार, अपनी भूक मिटा बैठे हो.
हमारे ही खून पसिने से आया है,
हम भूक से मरे, तभी तो तुमने पेठ भर के खाया हैं.
Good job Dear
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