सांसे बडी बैचैन हैं आजकल,
हैं खाली जिस्म भी शायद,
आंखे भीगी नजर आती हैं,
किसी की याद आती है.
खामोश हर लब्ज हैं लेकीन,
बोलते कुछ अल्फाज खडे किसी भिड मैं हैं,
लम्हा कोई बुलाने लगा,
इस कदर रुलाने लगा.
नींदे करवटो से गुजरती हैं,
पर सोती सुबह होने के बाद ही,
मिली मंझीले या मिला दर्द,
आज फिर होंगे बरबाद सही